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अज़ीज़ हामिद मदनी शायरी | शाही शायरी

अज़ीज़ हामिद मदनी शेर

37 शेर

खुला ये दिल पे कि तामीर-ए-बाम-ओ-दर है फ़रेब
बगूले क़ालिब-ए-दीवार-ओ-दर में होते हैं

अज़ीज़ हामिद मदनी