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अज़ीज़ फ़ैसल शायरी | शाही शायरी

अज़ीज़ फ़ैसल शेर

20 शेर

बेगम से कह रहा था ये कोई ख़ला-नवर्द
बैठी हुई है चाँद पे ''गुड़िया'' मिरे लिए

अज़ीज़ फ़ैसल




ऐसी ख़्वाहिश को समझता हूँ मैं बिल्कुल नेचुरल
डॉक्टर को शहर का हर मर्द ओ ज़न इल चाहिए

अज़ीज़ फ़ैसल