तिरे महल में हज़ारों चराग़ जलते हैं
ये मेरा घर है यहाँ दिल के दाग़ जलते हैं
असग़र वेलोरी
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तू ने अब तक जिसे नहीं समझा
और फिर उस की बंदगी कब तक
असग़र वेलोरी
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उन के हाथों से मिला था पी लिया
ज़हर था पर ज़ाइक़ा अच्छा लगा
असग़र वेलोरी
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ज़िंदगी से समझौता आज हो गया कैसे
रोज़ रोज़ तो ऐसे सानेहे नहीं होते
असग़र वेलोरी
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