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आरिफ़ इमाम शायरी | शाही शायरी

आरिफ़ इमाम शेर

13 शेर

तलाश-ए-रिज़्क़ का ये मरहला अजब है कि हम
घरों से दूर भी घर के लिए बेस हुए हैं

आरिफ़ इमाम




तुम्हारे हिज्र में मरना था कौन सा मुश्किल
तुम्हारे हिज्र में ज़िंदा हैं ये कमाल किया

आरिफ़ इमाम




उसी की बात लिखी चाहे कम लिखी हम ने
उसी का ज़िक्र किया चाहे ख़ाल-ख़ाल किया

आरिफ़ इमाम




ये मिट्टी मेरे ख़ाल-ओ-ख़द चुरा कर
तिरा चेहरा बनाती जा रही है

आरिफ़ इमाम