शहर की गलियों और सड़कों पर फिरते हैं मायूसी में
काश कोई 'अनवर' से पूछे ऐसे बे-घर कितने हैं
अनवर जमाल अनवर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
तुम्हारे दिल में कोई और भी है मेरे सिवा
गुमान तो है ज़रा सा मगर यक़ीन नहीं
अनवर जमाल अनवर
टैग:
| 2 लाइन शायरी |