मयस्सर से ज़ियादा चाहता है
समुंदर जैसे दरिया चाहता है
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
रख्खूँ कहाँ पे पाँव बढ़ाऊँ किधर क़दम
रख़्श-ए-ख़याल आज है बे-इख़्तियार फिर
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ये कौन सी जगह है ये बस्ती है कौन सी
कोई भी इस जहान में तेरे सिवा नहीं
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ये पूछ आ के कौन नसीबों जिया है दिल
मत देख ये कि कौन सितारा है बख़्त में
अकरम नक़्क़ाश
टैग:
| 2 लाइन शायरी |