क्यूँ चुप हैं वो बे-बात समझ में नहीं आता
ये रंग-ए-मुलाक़ात समझ में नहीं आता
अहसन मारहरवी
एक दिल है एक हसरत एक हम हैं एक तुम
इतने ग़म कम हैं जो कोई और ग़म पैदा करें
अहसन मारहरवी
किसी को भेज के ख़त हाए ये कैसा अज़ाब आया
कि हर इक पूछता है नामा-बर आया जवाब आया
अहसन मारहरवी
कर के दफ़्न अपने पराए चल दिए
बेकसी का क़ब्र पर मातम रहा
अहसन मारहरवी
जब मुलाक़ात हुई तुम से तो तकरार हुई
ऐसे मिलने से तो बेहतर है जुदा हो जाना
अहसन मारहरवी
इश्क़ रुस्वा-कुन-ए-आलम वो है 'अहसन' जिस से
नेक-नामों की भी बद-नामी ओ रुस्वाई है
अहसन मारहरवी
हमारा इंतिख़ाब अच्छा नहीं ऐ दिल तो फिर तू ही
ख़याल-ए-यार से बेहतर कोई मेहमान पैदा कर
अहसन मारहरवी
हम अपनी बे-क़रारी-ए-दिल से हैं बे-क़रार
आमेज़़िश-ए-सुकूँ है इस इज़्तिराब में
अहसन मारहरवी
है वो जब दिल में तो कैसी जुस्तुजू
ढूँडने वालों की ग़फ़लत देखना
अहसन मारहरवी