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अब्दुल हमीद शायरी | शाही शायरी

अब्दुल हमीद शेर

12 शेर

उतरे थे मैदान में सब कुछ ठीक करेंगे
सब कुछ उल्टा सीधा कर के बैठ गए हैं

अब्दुल हमीद




ये क़ैद है तो रिहाई भी अब ज़रूरी है
किसी भी सम्त कोई रास्ता मिले तो सही

अब्दुल हमीद




ज़वाल-ए-जिस्म को देखो तो कुछ एहसास हो इस का
बिखरता ज़र्रा ज़र्रा कोई सहरा कैसा लगता है

अब्दुल हमीद