ये हाथ राख में ख़्वाबों की डालते तो हो
मगर जो राख में शोला कोई दबा निकला
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
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ये हाथ राख में ख़्वाबों की डालते तो हो
मगर जो राख में शोला कोई दबा निकला
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी