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नया साल शायरी | शाही शायरी

नया साल

21 शेर

आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे

अहमद फ़राज़




न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है
किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है

अहमद फ़राज़




किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाए
कैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है

ऐतबार साजिद




मुबारक मुबारक नया साल आया
ख़ुशी का समाँ सारी दुनिया पे छाया

अख़्तर शीरानी




पलट सी गई है ज़माने की काया
नया साल आया नया साल आया

अख़्तर शीरानी




पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है

अली सरदार जाफ़री




ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत मुझ को
तमन्ना रक़्स करती है तख़य्युल गुनगुनाता है

अली सरदार जाफ़री