कोई समझे तो एक बात कहूँ 
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं 
if someone were to listen, one thing I will opine 
Love is not a crime forsooth it is grace divine
फ़िराक़ गोरखपुरी
तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल 
इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
इश्क़ की दस्तरस में कुछ भी नहीं 
जान-ए-मन! मेरे बस में कुछ भी नहीं
ग़ुलाम हुसैन साजिद
इश्क़ पर फ़ाएज़ हूँ औरों की तरह लेकिन मुझे 
वस्ल का लपका नहीं है हिज्र से वहशत नहीं
ग़ुलाम हुसैन साजिद
इश्क़ पर इख़्तियार है किस का 
फ़ाएदा पेश-ओ-पस में कुछ भी नहीं
ग़ुलाम हुसैन साजिद
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम 
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
नहीं बचता है बीमार-ए-मोहब्बत 
सुना है हम ने 'गोया' की ज़बानी
गोया फ़क़ीर मोहम्मद

