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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

दीवार-ओ-दर सा चाहिए दीवार-ओ-दर मुझे
दीवानगी में याद नहीं अपना घर मुझे

विशाल खुल्लर




दीवार-ओ-दर सा चाहिए दीवार-ओ-दर मुझे
दीवानगी में याद नहीं अपना घर मुझे

विशाल खुल्लर




दिल जो अब शोर करता रहता है
किस क़दर बे-ज़बान था पहले

विशाल खुल्लर




ग्रंथ इक प्रेम का पढ़ा मुझ को
और किताबों का ज्ञान रहने दे

विशाल खुल्लर




ग्रंथ इक प्रेम का पढ़ा मुझ को
और किताबों का ज्ञान रहने दे

विशाल खुल्लर




ग्रंथ इक प्रेम का पढ़ा मुझ को
और किताबों का ज्ञान रहने दे

विशाल खुल्लर




लुत्फ़-ए-मंज़िल हौसलों से आ लगा था गाम गाम
तू सफ़र में साथ था तो रास्ता अच्छा लगा

विशाल खुल्लर