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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

रखे है शीशा मिरा संग साथ रब्त-ए-क़दीम
कि आठ पहर मिरे दिल को है शिकस्त से काम

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




रखता है इबादत के लिए हसरत-ए-जन्नत
ज़ाहिद की ख़ुदा साथ मोहब्बत सबबी है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




रिआयत बूझ तू माशूक़ का जौर
कि तुझ को इश्क़ में कामिल करे है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




रिआयत बूझ तू माशूक़ का जौर
कि तुझ को इश्क़ में कामिल करे है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




रिश्ता-ए-उमर-दराज़ अपना मैं कोताह करूँ
आवे ये तार अगर तेरे ब-कार-ए-दामन

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




रुख़्सार के अरक़ का तिरे भाव देख कर
पानी के मोल निर्ख़ हुआ है गुलाब का

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




रुख़्सार के अरक़ का तिरे भाव देख कर
पानी के मोल निर्ख़ हुआ है गुलाब का

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम