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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

खेल सब छोड़ खेल अपना खेल
आप क़ुदरत का तू खिलौना है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




खेल सब छोड़ खेल अपना खेल
आप क़ुदरत का तू खिलौना है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ख़ुदा के वास्ते उस से न बोलो
नशे की लहर में कुछ बक रहा है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ख़ुदा को जिस से पहुँचें हैं वो और ही राह है ज़ाहिद
पटकते सर तिरी गो घिस गई सज्दों से पेशानी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ख़ुदा को जिस से पहुँचें हैं वो और ही राह है ज़ाहिद
पटकते सर तिरी गो घिस गई सज्दों से पेशानी

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




खुल गई जिस की आँख मिस्ल-ए-हबाब
घर को अपने ख़राब जाने है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




ख़ुम-ख़ाना मय-कशों ने किया इस क़दर तही
क़तरा नहीं रहा है जो शीशे निचोड़यए

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम