दाम-बर-दोश फिरें चाहे वो गेसू बर-दोश
सैद बन बन के हमीं ने उन्हें सय्याद किया
सिराज लखनवी
आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम
उस को भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में
as my eyes did ope my yearnings did rebound
for I lost the person who in my dreams I found
सिराज लखनवी
चंद तिनकों की सलीक़े से अगर तरतीब हो
बिजलियों को भी तवाफ़-ए-आशियाँ करना पड़े
सिराज लखनवी
चमक शायद अभी गीती के ज़र्रों की नहीं देखी
सितारे मुस्कुराते क्यूँ हैं ज़ेब-ए-आसमाँ हो कर
सिराज लखनवी
बड़ों-बड़ों के क़दम डगमगाए जाते हैं
पड़ा है काम बदलते हुए ज़माने से
सिराज लखनवी
अभी रक्खा रहने दो ताक़ पर यूँही आफ़्ताब का आइना
कि अभी तो मेरी निगाह में वही मेरा माह-ए-तमाम है
सिराज लखनवी
आप के पाँव के नीचे दिल है
इक ज़रा आप को ज़हमत होगी
सिराज लखनवी
आग और धुआँ और हवस और है इश्क़ और
हर हौसला-ए-दिल को मोहब्बत नहीं कहते
सिराज लखनवी
आँसू हैं कफ़न-पोश सितारे हैं कफ़न-रंग
लो चाक किए देते हैं दामान-ए-सहर हम
सिराज लखनवी