अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
looking in the mirror she sees her savoir-faire
and also looks to see no one is peeping there
निज़ाम रामपुरी
अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ
देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ
she couldn't even stretch out with her arms upraised
seeing me she smiled and composed herself all fazed
निज़ाम रामपुरी
अब तुम से क्या किसी से शिकायत नहीं मुझे
तुम क्या बदल गए कि ज़माना बदल गया
निज़ाम रामपुरी
अब तो सब का तिरे कूचे ही में मस्कन ठहरा
यही आबाद है दुनिया में ज़मीं थोड़ी सी
निज़ाम रामपुरी
अब क्या मिलें किसी से कहाँ जाएँ हम 'निज़ाम'
हम वो नहीं रहे वो मोहब्बत नहीं रही
निज़ाम रामपुरी
अब किस को याँ बुलाएँ किस की तलब करें हम
आँखों में राह निकली दिल में मक़ाम निकला
निज़ाम रामपुरी
अब आओ मिल के सो रहें तकरार हो चुकी
आँखों में नींद भी है बहुत रात कम भी है
निज़ाम रामपुरी
आप देखें तो मिरे दिल में भी क्या क्या कुछ है
ये भी घर आप का है क्यूँ न फिर आबाद रहे
निज़ाम रामपुरी
आँखें फूटें जो झपकती भी हों
शब-ए-तन्हाई में कैसा सोना
निज़ाम रामपुरी