यूँ कर रहा हूँ उन की मोहब्बत के तज़्किरे
जैसे कि उन से मेरी बड़ी रस्म-ओ-राह थी
माहिर-उल क़ादरी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़रा दरिया की तह तक तो पहुँच जाने की हिम्मत कर
तो फिर ऐ डूबने वाले किनारा ही किनारा है
माहिर-उल क़ादरी
टैग:
| प्रेरक |
| 2 लाइन शायरी |