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माहिर-उल क़ादरी शायरी | शाही शायरी

माहिर-उल क़ादरी शेर

11 शेर

यूँ कर रहा हूँ उन की मोहब्बत के तज़्किरे
जैसे कि उन से मेरी बड़ी रस्म-ओ-राह थी

माहिर-उल क़ादरी




ज़रा दरिया की तह तक तो पहुँच जाने की हिम्मत कर
तो फिर ऐ डूबने वाले किनारा ही किनारा है

माहिर-उल क़ादरी