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जुरअत क़लंदर बख़्श शायरी | शाही शायरी

जुरअत क़लंदर बख़्श शेर

127 शेर

ज़ाहिदा ज़ोहद-ओ-रियाज़त हो मुबारक तुझ को
क्यूँ कि तक़्वा से मियाँ मेरी तो बहबूद नहीं

जुरअत क़लंदर बख़्श