छुपे हैं सात पर्दों में ये सब कहने की बातें हैं
उन्हें मेरी निगाहों ने जहाँ ढूँडा वहाँ निकले
जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर
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आया उन्हें पसंद तो उन का ही हो गया
कम था हमारे दिल से हमारा कलाम क्या
जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर
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