EN اردو
ग़ुलाम मौला क़लक़ शायरी | शाही शायरी

ग़ुलाम मौला क़लक़ शेर

49 शेर

ख़ुदा से डरते तो ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न करते हम
कि याद-ए-बुत से हरम में बुका न करते हम

ग़ुलाम मौला क़लक़




किधर क़फ़स था कहाँ हम थे किस तरफ़ ये क़ैद
कुछ इत्तिफ़ाक़ है सय्याद आब-ओ-दाने का

ग़ुलाम मौला क़लक़




किस लिए दावा-ए-ज़ुलेख़ाई
ग़ैर यूसुफ़ नहीं ग़ुलाम नहीं

ग़ुलाम मौला क़लक़




कुफ़्र और इस्लाम में देखा तो नाज़ुक फ़र्क़ था
दैर में जो पाक था का'बे में वो नापाक था

ग़ुलाम मौला क़लक़