EN اردو
अतीक़ अंज़र शायरी | शाही शायरी

अतीक़ अंज़र शेर

15 शेर

शाम के धुँदलकों में डूबता है यूँ सूरज
जैसे आरज़ू कोई मेरे दिल में मरती है

अतीक़ अंज़र




तिरी शोख़ आँखों में बारहा कई ख़्वाब देखे हैं प्यार के
तिरा प्यार मेरा नसीब है किसी और को ये वफ़ा न दे

अतीक़ अंज़र




तिरी ज़ुल्फ़ों के साए में अगर जी लूँ मैं पल-दो-पल
न हो फिर ग़म जो मेरे नाम सहरा लिख दिया जाए

अतीक़ अंज़र




तुझ से मिल कर भी उदासी नहीं जाती दिल की
तू नहीं और कोई मेरी कमी हो जैसे

अतीक़ अंज़र




उसे देखने की थी आरज़ू मुझे उस की थी बड़ी जुस्तुजू
मगर उस के आरिज़-ए-नाज़ पे मिरी हर निगाह फिसल गई

अतीक़ अंज़र




वो ग़ज़ल की किताब है प्यारे
उस को पढ़ना सवाब है प्यारे

अतीक़ अंज़र