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अनवर शऊर शायरी | शाही शायरी

अनवर शऊर शेर

53 शेर

हम बुलाते वो तशरीफ़ लाते रहे
ख़्वाब में ये करामात होती रही

अनवर शऊर




आदमी के लिए रोना है बड़ी बात 'शुऊर'
हँस तो सकते हैं सब इंसान हँसी में क्या है

अनवर शऊर




अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ

अनवर शऊर




अच्छों को तो सब ही चाहते हैं
है कोई कि मैं बहुत बुरा हूँ

अनवर शऊर




बहरूप नहीं भरा है मैं ने
जैसा भी हूँ सामने खड़ा हूँ

अनवर शऊर




बहुत इरादा किया कोई काम करने का
मगर अमल न हुआ उलझनें ही ऐसी थीं

अनवर शऊर




बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है
हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है

अनवर शऊर




चले आया करो मेरी तरफ़ भी!
मोहब्बत करने वाला आदमी हूँ

अनवर शऊर




दोस्त कहता हूँ तुम्हें शाएर नहीं कहता 'शुऊर'
दोस्ती अपनी जगह है शाएरी अपनी जगह

अनवर शऊर