गो कठिन है तय करना उम्र का सफ़र तन्हा
लौट कर न देखूँगा चल पड़ा अगर तन्हा
अनवर शऊर
आदमी बन के मिरा आदमियों में रहना
एक अलग वज़्अ है दरवेशी ओ सुल्तानी से
अनवर शऊर
दोस्त कहता हूँ तुम्हें शाएर नहीं कहता 'शुऊर'
दोस्ती अपनी जगह है शाएरी अपनी जगह
अनवर शऊर
चले आया करो मेरी तरफ़ भी!
मोहब्बत करने वाला आदमी हूँ
अनवर शऊर
बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है
हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है
अनवर शऊर
बहुत इरादा किया कोई काम करने का
मगर अमल न हुआ उलझनें ही ऐसी थीं
अनवर शऊर
बहरूप नहीं भरा है मैं ने
जैसा भी हूँ सामने खड़ा हूँ
अनवर शऊर
अच्छों को तो सब ही चाहते हैं
है कोई कि मैं बहुत बुरा हूँ
अनवर शऊर
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
अनवर शऊर