प्यासा मत जला साक़ी मुझे गर्मी सीं हिज्राँ की
शिताबी ला शराब-ए-ख़ाम हम ने दिल को भूना है
अब्दुल वहाब यकरू
टैग:
| Hijr |
| 2 लाइन शायरी |
रक़ीबान-ए-सियह-रू शहर-ए-देहली के मुसाहिब हैं
गंदा नाला भी जा कर मिल रहा है देख जमुना कूँ
अब्दुल वहाब यकरू
टैग:
| 2 लाइन शायरी |