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आसी ग़ाज़ीपुरी शायरी | शाही शायरी

आसी ग़ाज़ीपुरी शेर

13 शेर

ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई
फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई

आसी ग़ाज़ीपुरी




बीमार-ए-ग़म की चारागरी कुछ ज़रूर है
वो दर्द दिल में दे कि मसीहा कहें जिसे

आसी ग़ाज़ीपुरी




दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे
मैं ने जब की आह उस ने वाह की

आसी ग़ाज़ीपुरी




दिल दिया जिस ने किसी को वो हुआ साहिब-ए-दिल
हाथ आ जाती है खो देने से दौलत दिल की

आसी ग़ाज़ीपुरी




ख़ुदा से तिरा चाहना चाहता हूँ
मेरा चाहना देख क्या चाहता हूँ

आसी ग़ाज़ीपुरी




किस को देखा उन की सूरत देख कर
जी में आता है कि सज्दा कीजिए

आसी ग़ाज़ीपुरी




लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है

आसी ग़ाज़ीपुरी




मेरी आँखें और दीदार आप का
या क़यामत आ गई या ख़्वाब है

आसी ग़ाज़ीपुरी




मिलने वाले से राह पैदा कर
उस से मिलने की और सूरत क्या

आसी ग़ाज़ीपुरी