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आसी ग़ाज़ीपुरी शायरी | शाही शायरी

आसी ग़ाज़ीपुरी शेर

13 शेर

तबीअत की मुश्किल-पसंदी तो देखो
हसीनों से तर्क-ए-वफ़ा चाहता हूँ

आसी ग़ाज़ीपुरी




वो कहते हैं मैं ज़िंदगानी हूँ तेरी
ये सच है तो उन का भरोसा नहीं है

आसी ग़ाज़ीपुरी




वो ख़त वो चेहरा वो ज़ुल्फ़-ए-सियाह तो देखो
कि शाम सुब्ह के बाद आए सुब्ह शाम के बाद

आसी ग़ाज़ीपुरी




वो फिर वादा मिलने का करते हैं यानी
अभी कुछ दिनों हम को जीना पड़ेगा

आसी ग़ाज़ीपुरी