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Kashti शायरी | शाही शायरी

Kashti

12 शेर

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
हम भी न डूब जाएँ कहीं ना-ख़ुदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम




मैं कश्ती में अकेला तो नहीं हूँ
मिरे हमराह दरिया जा रहा है

अहमद नदीम क़ासमी




ये अलग बात कि मैं नूह नहीं था लेकिन
मैं ने कश्ती को ग़लत सम्त में बहने न दिया

अज़हर इनायती




आता है जो तूफ़ाँ आने दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है
मुमकिन है कि उठती लहरों में बहता हुआ साहिल आ जाए

this vessel is by God sustained let the mighty storms appear,

बहज़ाद लखनवी


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अगर ऐ नाख़ुदा तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है
इधर कश्ती न ले आना यहाँ पानी बहुत कम है

दिवाकर राही




कश्ती-ए-ए'तिबार तोड़ के देख
कि ख़ुदा भी है ना-ख़ुदा ही नहीं

फ़ानी बदायुनी




कभी मेरी तलब कच्चे घड़े पर पार उतरती है
कभी महफ़ूज़ कश्ती में सफ़र करने से डरता हूँ

फ़रीद परबती