EN اردو
Bharosa शायरी | शाही शायरी

Bharosa

28 शेर

न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था

no promise,surety, nor any hope was due
yet I had little choice but to wait for you

फ़िराक़ गोरखपुरी




आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए'तिबार किया

गुलज़ार




जब नहीं कुछ ए'तिबार-ए-ज़िंदगी
इस जहाँ का शाद क्या नाशाद क्या

इम्दाद इमाम असर




हर-चंद ए'तिबार में धोके भी हैं मगर
ये तो नहीं किसी पे भरोसा किया न जाए

जाँ निसार अख़्तर




मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँ
मुझे किसी पे भी अब कोई ए'तिबार नहीं

जव्वाद शैख़




इश्क़ को एक उम्र चाहिए और
उम्र का कोई ए'तिबार नहीं

जिगर बरेलवी




सुबूत है ये मोहब्बत की सादा-लौही का
जब उस ने वादा किया हम ने ए'तिबार किया

जोश मलीहाबादी