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भारतेंदु हरिश्चंद्र शायरी | शाही शायरी

भारतेंदु हरिश्चंद्र शेर

20 शेर

किस गुल के तसव्वुर में है ऐ लाला जिगर-ख़ूँ
ये दाग़ कलेजे पे उठाना नहीं अच्छा

भारतेंदु हरिश्चंद्र




आ जाए न दिल आप का भी और किसी पर
देखो मिरी जाँ आँख लड़ाना नहीं अच्छा

भारतेंदु हरिश्चंद्र




हो गया लाग़र जो उस लैला-अदा के इश्क़ में
मिस्ल-ए-मजनूँ हाल मेरा भी फ़साना हो गया

भारतेंदु हरिश्चंद्र




गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में

भारतेंदु हरिश्चंद्र




ग़ाफ़िल इतना हुस्न पे ग़र्रा ध्यान किधर है तौबा कर
आख़िर इक दिन सूरत ये सब मिट्टी में मिल जाएगी

भारतेंदु हरिश्चंद्र




छानी कहाँ न ख़ाक न पाया कहीं तुम्हें
मिट्टी मिरी ख़राब अबस दर-ब-दर हुई

भारतेंदु हरिश्चंद्र




बुत-ए-काफ़िर जो तू मुझ से ख़फ़ा हो
नहीं कुछ ख़ौफ़ मेरा भी ख़ुदा है

भारतेंदु हरिश्चंद्र




बात करने में जो लब उस के हुए ज़ेर-ओ-ज़बर
एक साअत में तह-ओ-बाला ज़माना हो गया

भारतेंदु हरिश्चंद्र




ऐ 'रसा' जैसा है बरगश्ता ज़माना हम से
ऐसा बरगश्ता किसी का न मुक़द्दर होगा

भारतेंदु हरिश्चंद्र