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अरशद अब्दुल हमीद शायरी | शाही शायरी

अरशद अब्दुल हमीद शेर

22 शेर

मिले जो उस से तो यादों के पर निकल आए
इस इक मक़ाम पे कितने सफ़र निकल आए

अरशद अब्दुल हमीद




दिल को मालूम है क्या बात बतानी है उसे
उस से क्या बात छुपानी है ज़बाँ जानती है

अरशद अब्दुल हमीद




कुछ सितारे मिरी पलकों पे चमकते हैं अभी
कुछ सितारे मिरे सीने में समाए हुए हैं

अरशद अब्दुल हमीद




किस किस को समझाएगा ये नादानी छोड़
चेहरे को सुंदर बना आईना मत तोड़

अरशद अब्दुल हमीद




ख़ुदा करे ये रौशनी पड़े कभी न माँद
गालों पर वो लिख गया आधे आधे चाँद

अरशद अब्दुल हमीद




इश्क़ मरहून-ए-हिकायात-ओ-गुमाँ भी होगा
वाक़िआ है तो किसी तौर बयाँ भी होगा

अरशद अब्दुल हमीद




हवेली छोड़ने का वक़्त आ गया 'अरशद'
सुतूँ लरज़ते हैं और छत की मिट्टी गिरती है

अरशद अब्दुल हमीद




हमें तो शम्अ के दोनों सिरे जलाने हैं
ग़ज़ल भी कहनी है शब को बसर भी करना है

अरशद अब्दुल हमीद




हल्क़ा-ए-दिल से न निकलो कि सर-ए-कूचा-ए-ख़ाक
ऐश जितने हैं इसी कुंज-ए-कम-आसार में हैं

अरशद अब्दुल हमीद