पहलू में मेरे दिल को न ऐ दर्द कर तलाश
मुद्दत हुई ग़रीब वतन से निकल गया
अमीर मीनाई
फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उस ने कर लिया
फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतिज़ार का
अमीर मीनाई
पुतलियाँ तक भी तो फिर जाती हैं देखो दम-ए-नज़अ
वक़्त पड़ता है तो सब आँख चुरा जाते हैं
अमीर मीनाई
पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया
बे-कार है जो दाँत दहन से निकल गया
अमीर मीनाई
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
ऐ शम्अ' तुझ पे रात ये भारी है जिस तरह
मैं ने तमाम उम्र गुज़ारी है इस तरह
औरों की बुराई को न देखूँ वो नज़र दे
हाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे
हम जिस के हो गए वो हमारा न हो सका
यूँ भी हुआ हिसाब बराबर कभी कभी
एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं
वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने
मौत की पहली अलामत साहिब
यही एहसास का मर जाना है
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही या'नी वा'दा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
the love that 'tween us used to be, you may, may not recall
those promises of constancy, you may, may not recall
the love that 'tween us used to be, you may, may not recall
those promises of constancy, you may, may not recall
अमीर मीनाई
रास्ते और तवाज़ो' में है रब्त-ए-क़ल्बी
जिस तरह लाम अलिफ़ में है अलिफ़ लाम में है
अमीर मीनाई
रहा ख़्वाब में उन से शब भर विसाल
मिरे बख़्त जागे मैं सोया किया
अमीर मीनाई
रोज़-ओ-शब याँ एक सी है रौशनी
दिल के दाग़ों का चराग़ाँ और है
अमीर मीनाई
सादा समझो न इन्हें रहने दो दीवाँ में 'अमीर'
यही अशआर ज़बानों पे हैं रहने वाले
अमीर मीनाई