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अफ़ज़ल गौहर राव शायरी | शाही शायरी

अफ़ज़ल गौहर राव शेर

15 शेर

अपने बदन से लिपटा हुआ आदमी था मैं
मुझ से छुड़ा के मुझ को बता कौन ले गया

अफ़ज़ल गौहर राव




चंद लोगों की मोहब्बत भी ग़नीमत है मियाँ
शहर का शहर हमारा तो नहीं हो सकता

अफ़ज़ल गौहर राव




एक ही दाएरे में क़ैद हैं हम लोग यहाँ
अब जहाँ तुम हो कोई और वहाँ था पहले

अफ़ज़ल गौहर राव




गुमराह कब किया है किसी राह ने मुझे
चलने लगा हूँ आप ही अपने ख़िलाफ़ में

अफ़ज़ल गौहर राव




हिज्र में इतना ख़सारा तो नहीं हो सकता
एक ही इश्क़ दोबारा तो नहीं हो सकता

अफ़ज़ल गौहर राव




कौन सी ऐसी कमी मेरे ख़द-ओ-ख़ाल में है
आइना ख़ुश नहीं होता कभी मिल कर मुझ से

अफ़ज़ल गौहर राव




किस प्यास से ख़ाली हुआ मश्कीज़ा हमारा
दरिया से जो उठ आए हैं सहरा की तरफ़ हम

अफ़ज़ल गौहर राव




क्या मुसीबत है कि हर दिन की मशक़्क़त के एवज़
बाँध जाता है कोई रात का पत्थर मुझ से

अफ़ज़ल गौहर राव




मैं एक इश्क़ में नाकाम क्या हुआ 'गौहर'
हर एक काम में मुझ को ख़सारा होने लगा

अफ़ज़ल गौहर राव