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सब को बता रहा हूँ यही साफ़ साफ़ मैं | शाही शायरी
sab ko bata raha hun yahi saf saf main

ग़ज़ल

सब को बता रहा हूँ यही साफ़ साफ़ मैं

अफ़ज़ल गौहर राव

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सब को बता रहा हूँ यही साफ़ साफ़ मैं
जलते दिए से कैसे करूँ इंहिराफ़ में

मैं ने तो आसमान के रंगों की बात की
कहने लगी ज़मीन बदल दूँ ग़िलाफ़ में

गुमराह कब किया है किसी राह ने मुझे
चलने लगा हूँ आप ही अपने ख़िलाफ़ में

मिलता नहीं है फिर भी सिरा आसमान का
कर कर के थक चुका हूँ ज़मीं का तवाफ़ में

अब तू भी आइने की तरह बोलने लगा
पत्थर से भर न दूँ तिरे मुँह का शिगाफ़ में