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नींद पूरे बिस्तर में नहीं होती | शाही शायरी
nind pure bistar mein nahin hoti

नज़्म

नींद पूरे बिस्तर में नहीं होती

निदा फ़ाज़ली

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नींद पूरे बिस्तर में नहीं होती
वो पलंग के एक कोने में

दाएँ
या बाएँ

कसी मख़्सूस तकिए की
तोड़-मोड़ में छुपी होती है

जब तकिए और गर्दन में
समझौता हो जाता है

तो आदमी चैन से
सो जाता है