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ज़िंदगी से यही गिला है मुझे | शाही शायरी
zindagi se yahi gila hai mujhe

ग़ज़ल

ज़िंदगी से यही गिला है मुझे

अहमद फ़राज़

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ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे

दिल धड़कता नहीं टपकता है
कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे

हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे

कोहकन हो कि क़ैस हो कि 'फ़राज़'
सब में इक शख़्स ही मिला है मुझे