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यूँ तो क्या क्या नज़र नहीं आता | शाही शायरी
yun to kya kya nazar nahin aata

ग़ज़ल

यूँ तो क्या क्या नज़र नहीं आता

अमजद हैदराबादी

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यूँ तो क्या क्या नज़र नहीं आता
कोई तुम सा नज़र नहीं आता

ढूँडती हैं जिसे मिरी आँखें
वो तमाशा नज़र नहीं आता

हो चली ख़त्म इंतिज़ार में उम्र
कोई आता नज़र नहीं आता

झोलियाँ सब की भरती जाती हैं
देने वाला नज़र नहीं आता

ज़ेर-ए-साया हों उस के ऐ 'अमजद'
जिस का साया नज़र नहीं आता