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मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिए | शाही शायरी
mohabbat mein wafadari se bachiye

ग़ज़ल

मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिए

निदा फ़ाज़ली

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मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिए
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिए

हर इक सूरत भली लगती है कुछ दिन
लहू की शो'बदा-कारी से बचिए

शराफ़त आदमियत दर्द-मंदी
बड़े शहरों में बीमारी से बचिए

ज़रूरी क्या हर इक महफ़िल में बैठें
तकल्लुफ़ की रवा-दारी से बचिए

बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिए