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क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी | शाही शायरी
kya KHabar thi ek bala-e-na-gahani aaegi

ग़ज़ल

क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी

अख़्तर अंसारी

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क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी
ना-मुरादी की निशानी ये जवानी आएगी

सब कहेंगे कौन करता है हमारे राज़ फ़ाश
जब मिरे लब पर मोहब्बत की कहानी आएगी

ना-मुरादी से कहो मुँह फेर ले अपना ज़रा
मेरी दुनिया में उरूस-ए-कामरानी आएगी

जब ख़िज़ाँ की नज़्र हो जाएगी दुनिया से शबाब
याद 'अख़्तर' ये सितम-आरा जवानी आएगी