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इश्क़ नहीं कोई नहंग है यारो | शाही शायरी
ishq nahin koi nahang hai yaro

ग़ज़ल

इश्क़ नहीं कोई नहंग है यारो

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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इश्क़ नहीं कोई नहंग है यारो
दुश्मन-ए-नाम-ओ-नंग है यारो

सब्र बिन और कुछ न लो हमराह
कूचा-ए-इश्क़ तंग है यारो

शम्अ'-रू पर न हुए क्यूँ कर डोर
दिल हमारा पतंग है यारो

बात ऊस तिफ़्ल-ख़ू की रम्ज़-आमेज़
मुज दिवाने को संग है यारो

तिल है तिरयाक चश्म जाम-ए-शराब
सब्ज़ा-ए-ख़त यू बंग है यारो

ज़ुल्फ़ का दिलरुबा की आज ख़याल
दिल कूँ क़ैद-ए-फ़रंग है यारो

ऊस परी-रू सीं और 'हातिम' सीं
रात दिन सुल्ह ओ जंग है यारो