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हज़ारों तरह अपना दर्द हम इस को सुनाते हैं | शाही शायरी
hazaron tarah apna dard hum isko sunate hain

ग़ज़ल

हज़ारों तरह अपना दर्द हम इस को सुनाते हैं

आसी उल्दनी

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हज़ारों तरह अपना दर्द हम इस को सुनाते हैं
मगर तस्वीर को हर हाल में तस्वीर पाते हैं

बुझा दे ऐ हवा-ए-तुंद मदफ़न के चराग़ों को
सियह-बख़्ती में ये इक बद-नुमा धब्बा लगाते हैं

मुरत्तब कर गया इक इश्क़ का क़ानून दुनिया में
वो दीवाने हैं जो मजनूँ को दीवाना बताते हैं

इसी महफ़िल से में रोता हुआ आया हूँ ऐ 'आसी'
इशारे में जहाँ लाखों मुक़द्दर बदले जाते हैं