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दिल की तरफ़ दिमाग़ से वो आने वाला है | शाही शायरी
dil ki taraf dimagh se wo aane wala hai

ग़ज़ल

दिल की तरफ़ दिमाग़ से वो आने वाला है

जमाल एहसानी

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दिल की तरफ़ दिमाग़ से वो आने वाला है
ये भी मकान हाथ से अब जाने वाला है

इक लहर उस की आँख में है हौसला-शिकन
इक रंग उस के चेहरे पे बहकाने वाला है

ये कौन आने जाने लगा उस गली में अब
ये कौन मेरी दास्ताँ दोहराने वाला है

दुनिया पसंद आने लगी दिल को अब बहुत
समझो कि अब ये बाग़ भी मुरझाने वाला है

जो साअत-ए-हसीं थी वो रोके नहीं रुकी
ये लम्हा भी 'जमाल' गुज़र जाने वाला है