EN اردو
बृन्दाबन के कृष्ण कनहैया अल्लाह हू | शाही शायरी
brindaban ke krishn kanhaiya allah hu

ग़ज़ल

बृन्दाबन के कृष्ण कनहैया अल्लाह हू

निदा फ़ाज़ली

;

बृन्दाबन के कृष्ण कनहैया अल्लाह हू
बंसी राधा गीता गय्या अल्लाह हू

थोड़े तिनके थोड़े दाने थोड़ा जल
एक ही जैसी हर गौरय्या अल्लाह हू

जैसा जिस का बर्तन वैसा उस का तन
घटती बढ़ती गंगा मय्या अल्लाह हू

एक ही दरिया नीला पीला लाल हरा
अपनी अपनी सब की नय्या अल्लाह हू

मौलवियों का सज्दा पंडित की पूजा
मज़दूरों की हैय्या हैय्या अल्लाह हू