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Tanz-ओ-Mizah शायरी | शाही शायरी

Tanz-ओ-Mizah

12 शेर

बी.ए भी पास हों मिले बी-बी भी दिल-पसंद
मेहनत की है वो बात ये क़िस्मत की बात है

अकबर इलाहाबादी




बूढ़ों के साथ लोग कहाँ तक वफ़ा करें
बूढ़ों को भी जो मौत न आए तो क्या करें

अकबर इलाहाबादी




कोट और पतलून जब पहना तो मिस्टर बन गया
जब कोई तक़रीर की जलसे में लीडर बन गया

donning fancy clothes beame a gentlean avowed
and turned into a leader on speaking to a crowd,

अकबर इलाहाबादी




डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम यहाँ फ़ाक़े से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली

अकबर इलाहाबादी




मैं भी ग्रेजुएट हूँ तुम भी ग्रेजुएट
इल्मी मुबाहिसे हों ज़रा पास आ के लेट

अकबर इलाहाबादी




पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा
लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए

seeing the lawyer born, satan was moved to say
lo and behold I have become a father today

अकबर इलाहाबादी




रहमान के फ़रिश्ते गो हैं बहुत मुक़द्दस
शैतान ही की जानिब लेकिन मेजोरिटी है

अकबर इलाहाबादी