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संबंध शायरी | शाही शायरी

संबंध

6 शेर

चलो कहीं पे तअल्लुक़ की कोई शक्ल तो हो
किसी के दिल में किसी की कमी ग़नीमत है

आफ़ताब हुसैन




मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक़ है रज़ा तेरी
मगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता

अहमद नदीम क़ासमी




तअल्लुक़ किर्चियों की शक्ल में बिखरा तो है फिर भी
शिकस्ता आईनों को जोड़ देना चाहते हैं हम

ऐतबार साजिद




मिरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता
किसी ने तोड़ दिया ए'तिबार टूट गया

अख़्तर नज़्मी




बोसे बीवी के हँसी बच्चों की आँखें माँ की
क़ैद-ख़ाने में गिरफ़्तार समझिए हम को

फ़ुज़ैल जाफ़री




दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए

enmity however strong, the contact never break
hearts and minds may be apart, the hands must ever shake

निदा फ़ाज़ली