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Khudkushi शायरी | शाही शायरी

Khudkushi

6 शेर

कोई ख़ुद-कुशी की तरफ़ चल दिया
उदासी की मेहनत ठिकाने लगी

आदिल मंसूरी




सड़क पे बैठ गए देखते हुए दुनिया
और ऐसे तर्क हुई एक ख़ुद-कुशी हम से

अहमद अता




ख़ुद-कुशी करने में भी नाकाम रह जाते हैं हम
कौन अमृत घोल देता है हमारे ज़हर में

अंजुम लुधियानवी




ग़रीब-ए-शहर तो फ़ाक़े से मर गया 'आरिफ़'
अमीर-ए-शहर ने हीरे से ख़ुद-कुशी कर ली

आरिफ़ शफ़ीक़




आज तो जैसे दिन के साथ दिल भी ग़ुरूब हो गया
शाम की चाय भी गई मौत के डर के साथ साथ

इदरीस बाबर




मौत के दरिंदे में इक कशिश तो है 'सरवत'
लोग कुछ भी कहते हों ख़ुद-कुशी के बारे में

सरवत हुसैन