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जन्मदिन शायरी | शाही शायरी

जन्मदिन

10 शेर

मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ
जनम-दिन है अकेला रो रहा हूँ

ऐतबार साजिद




माँ की दुआ न बाप की शफ़क़त का साया है
आज अपने साथ अपना जनम दिन मनाया है

अंजुम सलीमी




हमारा ज़िंदा रहना और मरना एक जैसा है
हम अपने यौम-ए-पैदाइश को भी बरसी समझते हैं

फ़रहत एहसास




हमारी ज़िंदगी पर मौत भी हैरान है 'ग़ाएर'
न जाने किस ने ये तारीख़-ए-पैदाइश निकाली है

काशिफ़ हुसैन ग़ाएर




घिरा हुआ हूँ जनम-दिन से इस तआक़ुब में
ज़मीन आगे है और आसमाँ मिरे पीछे

मोहम्मद इज़हारुल हक़




यही वो दिन थे जब इक दूसरे को पाया था
हमारी साल-गिरह ठीक अब के माह में है

परवीन शाकिर




ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल
हवा बिखेर गई मोम-बत्तियाँ और फूल

साबिर ज़फ़र