EN اردو
त्रिपुरारि शायरी | शाही शायरी

त्रिपुरारि शेर

22 शेर

जिन से मिलना न हुआ उन से बिछड़ कर रोए
हम तो आँखों की हर इक हद से गुज़र कर रोए

त्रिपुरारि




जब से गुज़रा है किसी हुस्न के बाज़ार से दिल
दिल को महसूस ये होता है कि बाज़ार हूँ मैं

त्रिपुरारि




एक तस्वीर बनाई है ख़यालों ने अभी
और तस्वीर से इक शख़्स निकल आया है

त्रिपुरारि




एक किरदार नया रोज़ जिया करता हूँ
मुझ को शाएर न कहो एक अदाकार हूँ मैं

त्रिपुरारि