EN اردو
तारिक़ क़मर शायरी | शाही शायरी

तारिक़ क़मर शेर

20 शेर

एक मुद्दत से ये मंज़र नहीं बदला 'तारिक़'
वक़्त उस पार है ठहरा हुआ इस पार हैं हम

तारिक़ क़मर




अजब ग़रीबी के आलम में मर गया इक शख़्स
कि सर पे ताज था दामन में इक दुआ भी न थी

तारिक़ क़मर