दो ही चीज़ें इस धरती में देखने वाली हैं
मिट्टी की सुंदरता देखो और मुझे देखो
सरवत हुसैन
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दश्त छोड़ा तो क्या मिला 'सरवत'
घर बदलने के ब'अद क्या होगा
सरवत हुसैन
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बुझी रूह की प्यास लेकिन सख़ी
मिरे साथ मेरा बदन भी तो है
सरवत हुसैन
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बहुत मुसिर थे ख़ुदायान-ए-साबित-ओ-सय्यार
सो मैं ने आइना ओ आसमाँ पसंद किए
सरवत हुसैन
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अपने लिए तज्वीज़ की शमशीर-ए-बरहना
और उस के लिए शाख़ से इक फूल उतारा
सरवत हुसैन
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अपने अपने घर जा कर सुख की नींद सो जाएँ
तू नहीं ख़सारे में मैं नहीं ख़सारे में
सरवत हुसैन
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