शिकवा सुन कर जो मिज़ाज-ए-बुत-ए-बद-ख़ू बदला
हम ने भी साथ ही तक़रीर का पहलू बदला
बेखुद बदायुनी
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उन की हसरत भी नहीं मैं भी नहीं दिल भी नहीं
अब तो 'बेख़ुद' है ये आलम मिरी तंहाई का
बेखुद बदायुनी
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वाइज़ ओ मोहतसिब का जमघट है
मै-कदा अब तो मै-कदा न रहा
बेखुद बदायुनी
वो जो कर रहे हैं बजा कर रहे हैं
ये जो हो रहा है बजा हो रहा है
बेखुद बदायुनी
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वो उन का वस्ल में ये कह के मुस्कुरा देना
तुलू-ए-सुब्ह से पहले हमें जगा देना
बेखुद बदायुनी
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